आप अगर नारदपुराण और धर्म शास्त्रों की पुस्तकों में इंट्रेस्ट रखते हैं, तो आपको ज़रूर कुछ ऐसे कामों का वर्णन देखने व पढ़ने को मिलेगा जो इंसान द्वारा किए गए सारे पुण्य कर्मों का फल एक पल में समाप्त कर देता है।
आपके मन में भी यह जानने कि उत्सुक्ता ज़रूर बढ़ गई होगी कि भला कौन सी हैं वह 3 चीज़ें??? चलिए बिना देर किए वेद संसार आपको बताने जा रहा है कि आखीर वह 3 चीज़ें कौन सी हैं –
• गाय का अपमान
गाय जिसे नंदा, सुनंदा, सुरभि, सुशीला और सुमन भी कहकर पुकारा जाता है। ऐसी मान्यता है कि कृष्ण कथा में अंकित सभी पात्र किसी ना किसी कारणवश शापग्रस्त होकर जन्में थे।
बता दें कि गाय को कामधेनु तथा गौ माता भी माना गया है। गाय हम मनुष्यों को दूध, दही, घी, गोबर-गोमूत्र के रूप में पंचगव्य प्रदान करती है। जैसा कि आप जानते हैं कि हमारे इस सृष्टि की संरचना पंचभूत से हुई है और यह पिंड, यह ब्रहमाण्ड,पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश रूप पंचभूतों के पांच तत्वो से बना है, इसीलिए गाय को पंचभूत की मां भी कहा जाता है।
वहीं, देवीय पुराण और हिंदू धर्म के सभी शास्त्रों में गाय का अपमान करना मतलब पाप करने के बराबर माना जाता है। याद रखें कि गौमाता का अपमान करना ईशवर की दृष्टि में एक ऐसा पाप है, जिसका मनुष्य जीवन के कोई प्रायश्चित्त भी नहीं कर सकता है। याद रखें कि जो पुण्य तीर्थ दर्शन करके या यज्ञ करके बटोरा जाता है, वहीं सारा पुण्य केवल गौमाता की सेवा करने से ही प्राप्त हो जाता है।
• तुलसी का अपमान
दूसरी ओर विष्णुपुराण और हिन्दू धर्म के सभी ग्रंथों में यह बात साफ साफ लिखी हुई है कि तुलसी का अपमान करना मतलब खुद ईश्वर का अपमान करना माना जाता है। तुलसी का सबसे बड़ा अपमान यह माना जाता है कि घर में तुलसी होने के बावजूद उसकी पूजा न हो। ऐसा कहा जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, वह स्थान देवीय दृष्टि से पूजनीय स्थान होता है और उस घर में किसी भी तरह की बीमारी का आगमन नही हो पाता है। साथ ही धार्मिक कार्यों में पूजी जाने वाली तुलसी, विज्ञान की दृष्टि से एक बहुत ही फायदेमंद औषधि भी है।
तुलसी का उपयोग बहुत सोच समझकर करना चाहिए। इसे कभी भी रविवार के दिन नहीं तोड़ना चाहिए। यही नहीं, बिना मतलब के भी तुलसी को तोड़ना पाप का भागीदार बनाता है। तुलसी में रोज़ पानी देने से आपकी आयु भी लंबी होगी और आप पर सारे देवी देवता की कृपा बनी रहेगी। भगवान शिव और गणेश को भूलकर भी कभी तुलसी नहीं चढ़ाना चाहिए, वरना उल्टा परिणाम प्राप्त हो सकता है।
• गंगाजल का अपमान
इस बात से हम सभी वाकिफ हैं कि गंगा का अवतरण स्वर्ग से सीधे पृथ्वी पर हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि हिंदू धर्म में गंगा नदी को मां का दर्जा प्राप्त है। विष्णुपुराण और शिवपुराण की बातें करें, तो ऐसा कहा गया है जो व्यक्ति गंगा का अपमान करता है उसके द्वारा किए गए सभी पुण्य कर्म एक पल में समाप्त हो जाते है। इसलिए पवित्र गंगाजल का सम्मान एक मां की भांति करना बहुत आवश्यक है। बता दें कि गंगा जल का प्रयोग अनेक धार्मिक अनुष्ठानों में भी होता है।
हम आशा करते हैं कि वेद संसार द्वारा बताए गए इन खास 3 चीज़ों के बारे में जानकर आपको इतना समझ में आ गया होगा कि इनका अपमान करना आप पर कितना भारी पड़ सकता है। आज के बाद से कभी भी इनका अपमान ना करें। अगर आप इन्हें पूज नहीं सकते, तो अपमान भी ना करें।