हम सभी सोते हैं, पर क्या हम सही ढंग से सोते हैं? आपको लग रहा होगा कि भला यह कैसा सवाल… भला सोने का भी कोई ढंग होता है? तो दोस्तों, आज वेद संसार आपकी इसी गलतफहमी को दूर करने जा रहा है कि सोने का नियम होता है और सही ढंग से ना सोने से आपको कई समस्याएं हो सकती हैं।
जी हां, हमारे धार्मिक शास्त्रों और नीति शास्त्रों में भी सोने (शयन) से जुड़े हुए नियमों का उल्लेख है। ऐसी मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति उन नियमों का पालन सही से करता है, उसे दीर्घायु और स्वस्थ्य जीवन का लाभ अवश्य प्राप्त होता है।
तो चलिए शास्त्रों द्वारा बताए गए नियमों को विस्तार से बताते हैं कि आपको कैसे सोना चाहिए…
बात अगर मनुस्मृति की मानें तो व्यक्ति को सूने और निर्जन घर में अकेला कभी नहीं सोना चाहिए। व इसके साथ ही देव मन्दिर और श्मशान में भी भूल से भी नहीं सोना चाहिए। वहीं, विष्णुस्मृति के अनुसार सोने से जुड़ा नियम कहता है कि किसी सोए हुए मनुष्य को अचानक नहीं जगाना चाहिए।
चाणक्य नीति क्या कहती है –
दूसरी ओर, चाणक्य नीति के अनुसार अगर कोई छात्र, सेवक या फिर द्वारपाल अधिक समय तक सोये हुए हो, तो इन्हें तुरंत जगा देना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि पद्म पुराण के अनुसार स्वस्थ मनुष्य को आयुरक्षा हेतु ब्रह्ममुहुर्त में उठना चाहिए। और तो और अंधरे कमरे में भी नहीं सोना चाहिए।
सोने के नियम को लेकर महाभारत में क्या कहा गया –
आपको जानकर हैरानी होगी कि महाभारत में भी हमारे सोने के नियमों के बारे में जिक्र है और वह क्या है, चलिए बिना देर किए आपको बताते हैं – दरअसल, व्यक्ति को भीगे पैर नहीं सोना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से मां लक्ष्मी आपसे रूठ जाती है। ध्यान रहे कि टूटी हुई खाट और साथ ही जूठे मुंह भी नहीं सोना चाहिए। वहीं, गौतम धर्म में भी सोने को लेकर नियम बताए गए हैं कि व्यक्ति को कभी भी “नग्न होकर/निर्वस्त्र” नहीं सोना चाहिए।
अब आपको कुछ और सोने के नियमों के बारे में जानकारी देते हैं –
• कहते हैं कि पूर्व की ओर पैर करके सोने से विद्या, पश्चिम की ओर सिर करके सोने से प्रबल चिन्ता, उत्तर की ओर सिर करके सोने से हानि व मृत्यु तथा दक्षिण की ओर सिर करके सोने से धन व आयु की प्राप्ति होती है।
• वहीं, दिन में कभी नहीं सोना चाहिए। पर हां, ज्येष्ठ मास में दोपहर के समय एक ऐसा मुहूर्त होता है जब आप सो सकते हैं। और तो और बह्मवैवर्तपुराण के अनुसार, जो भी व्यक्ति सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सोते हैं, वह रोगी और दरिद्र हो जाता है। नींद आपको इतनी प्रिय है, तो सूर्यास्त के एक प्रहर (लगभग 3 घण्टे) के बाद आप सो सकते हैं।
• सोते समय इस बात का ध्यान ज़रूर रखें कि आप बायीं करवट लेकर ही सोए, क्योंकि इससे आपका स्वास्थ्य हमेशा अच्छा बना रहेगा। एक बात और गांठ बांध लें कि दक्षिण दिशा में पांव करके कभी नहीं सोना चाहिए, क्योंकि इस दिशा में यम और दुष्ट देवों का निवास रहता है। यही नहीं, मस्तिष्क में भी रक्त का संचार कम हो जाता है।
• बताते चलें कि हृदय पर हाथ रखकर, छत के पाट या बीम के नीचे और पांव पर पांव चढ़ाकर भी नहीं सोना चाहिए। शय्या पर बैठकर खाना-पीना बहुत अशुभ माना जाता है। और एक बात ललाट पर तिलक लगाकर भी सोना अशुभ माना जाता है इसलिये सोते समय तिलक को याद से हटा लें।
हम आशा करते हैं अब जब सोने का सही ढंग आपको मालूम हो गया तब आप इसे अपनाएंगे और अपने परिवार व दोस्तों को भी इश बात की जानकारी देंगे।