हमारे हिंदू धर्म में जब भी किसी नये कार्य की शुरुआत होती है तो सबसे पहले देवी-देवताओं को याद किया जाता है और उनकी पूजा भी की जाती है।
यह तो हम सभी जानते हैं कि हर मांगलिक कार्य में सबसे पहले पंचदेव की पूजा का विधान माना गया है। बता दें कि इन पंचदेवो का मंत्रों को द्वारा ही आवाहन किया जाता है। साथ ही जल से आचमन कराने के बाद पंचोपचार विधि से इनकी पूजा की जाती है। यही नहीं, मांगलिक कार्यों से पहले पंच देवो की पूजा करने से भी आपके सारे कार्य बिना किसी विघ्न के ही पूरे होते चले जाते हैं।
आज वेद संसार आपको यही बताने जा रहा है कि आखीर कौन हैं यह पंचदेव और क्या है इनके पूजा का महत्व –
पंचदेव अथार्त वह पांच देव हैं – भगवान सूर्य, भगवान गणेश, भगवान शिव, भगवान विष्णु और मां दुर्गा। हर छोटे से छोटे किसी भी तरह के शुभ कार्य में सबसे पहले इन्हीं पांच देवों की पूजा को महत्व दिया गया है। सबसे पहले भगवान सूर्य और फिर उसके बाद भगवान गणेश, भगवान शिव, मां दुर्गा और भगवान विष्णु का पूजा किया जाता है।
पंच देवों की पूजा का क्या है महत्व –
जिस प्रकार हमारी सृष्टि के निर्माण में पांच तत्वों – वायु, जल, अग्नि, पृथ्वी और आकाश का महत्व होता है ठीक उसी तरह उन्हीं पंचतत्वों को आधार मानकर पंचदेव की पूजा की जाती है।
पंचदेव में भगवान सूर्य का नाम क्यों –
वह सूर्य ही तो है जो हमारी पूरी सृष्टि को प्रकाशित करता है। सूर्य एक ऐसे देवता माने जाते हैं जिनका दर्शन आप प्रत्यक्ष रूप से कर सकते हैं। बता दें कि पंचतत्वो में सूर्य को आकाश का प्रतीक माना जाता है और इसलिए सूर्य देव की पूजा की जाती है।
पंचदेव में भगवान गणेश का नाम क्यों –
यह तो हम सभी जानते हैं कि भगवान गणेश सभी देवों में प्रथम पूजे जाने वाले देवता हैं। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है और इसलिए हर शुभ कार्य में सबसे पहले इन्हीं की पूजा का विधान चला आ रहा है जिससे हर कार्य निर्विघ्न रुप से संपन्न हो जाए।
पंचदेव में भगवान शिव व मां दुर्गा का नाम क्यों –
दरअसल, भगवान शिव और शक्ति स्वरुपा मां दुर्गा दोनों से ही सृष्टि की शुरुआत हुई है। यह कहना गलत नहीं होगा कि भगवान शिव-मां दुर्गा यह दोनों पूरे संसार के माता-पिता हैं और तो और मां दुर्गा स्वयं ही प्रकृति हैं तो भगवान शिव देवों के भी देव हैं। ध्यान रहें कि जीवन और काल भी इन्हीं के अधीन है।
पंचदेव में भगवान विष्णु का नाम क्यों –
बताते चलें कि भगवान विष्णु जो हैं वह पूरे संसार के पालनकर्ता हैं। यही नहीं, पूरी सृष्टि के संचालन का भार भी इन्हीं के ऊपर हैं और इसलिए हर शुभ कार्य में विष्णु जी की पूजा करने का प्रावधान है। याद रहे कि देवउठनी एकादशी से विष्णु जी के जाग्रत होने के बाद ही मांगलिक कार्यों का आरंभ होता है।