आज के इस युग में लोगों को जल्दी बस ज्यादा-से-ज्यादा पैसे कमाने की है। पैसे को लेकर लोग इतने पागल हो चुके हैं कि उनका ध्यान बस अपने पैसे पर ही रहता है। किसी की सहायता क्यों ना करना पड़े लेकिन इनके पोकेट से जल्दी पैसा बाहर नहीं निकलता है। ऐसे लोग तो राह पर भी अपनी दूरी भिखारियों से बनाकर रखते हैं।
बता दें कि पंचतंत्र के मित्रलाभ ग्रंथ में दान को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। यदि कोई दान करने में समर्थ है तो उसे हमेशा जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए। जान लें कि आपके घर आए याचक यानी किसी भी भिखारी या गरीब को खाली हाथ ना जानें दें। नर सेवा ही नारायण सेवा है और गरीबों को इसीलिए दरिद्र नारायण भी कहा जाता है।
शास्त्रों के में भी यह बात कही गई है कि भगवान हमारी समय-समय पर परीक्षा लेते हैं। पुराने समय में भी कई ऐसे प्रसंग मिलते हैं जहां भगवान भिक्षुक बनकर भक्त की परीक्षा लेने पहुंच जाते हैं। भगवान हमेशा ही भक्तों की श्रद्धा को परखने के लिए नए-नए वेश भी धारण किया करते हैं। भगवान कब, कहां, किस रूप में आपके सामने आ जाए, यह समझना हम जैसे आम इंसानों की बुद्धि से परे ही है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्राचीन ऋषिमुनियों ने यह नियम बना दिया है कि आपके घर में कोई भी भिक्षुक आए उसे कभी खाली हाथ न जाने दें। ऐसा हो सकता है कि स्वयं भगवान ही आपकी परीक्षा लेने आ पहुंचें हों।
ध्यान रहें कि मानवता के नाते भी किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति की मदद करना सभी का धर्म होना चाहिए। यदि कोई धन अर्जित करने में असमर्थ है या शारीरिक रूप से सक्षम है नहीं हैं तो उसकी मदद करना सभी का कर्तव्य है। हमारी एक मदद से उसके घर के सदस्यों को खाना मिल सकता है। ऐसे जरूरतमंदों की दुआओं का हमारे जीवन में अच्छा प्रभाव होता है।
जान लें कि गरीबों की दुआएं हमें बुरे समय से बचाती है। साथ ही हमारे पुण्यों में बढ़ोतरी भी करती है, जिसके प्रभाव से हमारे कई रुके हुए काम जल्दी पूरे हो जाते हैं। घर के सदस्यों पर यदि को विपदा आने वाली हो तो वह भी इन दुआओं से टल जाती है। इन्हीं कारणों के चलते कभी भी भिखारी को खाली हाथ नहीं जाने देना चाहिए।