यह तो हम सभी जानते हैं कि गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। भगवान बुद्ध का जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर हुआ था। बुद्ध की माता का नाम महामाया था। बुद्ध को बचपन में सभी सिद्धार्थ नाम से जानते थे। सिद्धार्थ ने शादी के बाद अपने नवजात शिशु राहुल और पत्नी यशोधरा को त्याग दिया था। संसार को दुखों से मुक्ति दिलाने के लिए वह दिव्य ज्ञान की खोज में जंगल चले गए थे। वहीं, कई सालों की कठोर तपस्या के बाद भगवान बुद्ध को बोध गया (बिहार) में बोधी वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और वह सिद्धार्थ गौतम से बुद्ध बन गए थे।
आइए बताते हैं भगवान बुद्ध के ऐसे 10 विचार जिन्हें अपनी ज़िंदगी में अपनाकर आप दुखों से पा सकते हैं मुक्ति –
गौतम बुद्ध के 10 विचार
- घृणा यानी कि बुराई, जी हां कभी भी आप घृणा से घृणा को खत्म नहीं कर सकते हैं। सत्य यह है कि घृणा को केवल हम अपने प्रेम से ही खत्म कर सकते हैं।
- सत्य के मार्ग पर चलता हुआ व्यक्ति केवल दो ही गलतीयां कर सकता है और वह है – या तो पूरा रास्ता ही ना तय करना या फिर शुरुआत ही ना करना।
- किसी को भी कभी क्रोध के लिए सजा नहीं मिलती, बल्कि हमे सजा अपने क्रोध से ही मिलती है।
- हजारों लड़ाइयां जीतने से अच्छा है कि तुम स्वयं पर जीत हासिल कर लो। फिर जीत हमेशा तुम्हारी है।
- एक जलते हुए दीपक से जैसे कई दीपक रोशन किए जा सकते हैं, फिर भी उस दीपक की रोशनी कम नहीं होती हैं। ठीक उसी तरह खुशियां बांटने से बढ़ती है कम नहीं होती है।
- भूतकाल में कभी भी ना उलझे, भविष्य के सपनों में भी ना खोएं। वर्तमान पर ध्यान दें क्योंकि यही खुश रहने का रास्ता है।
- संदेह या शक की आदत से भयानक कुछ नहीं होता है क्योंकि संदेह लोगों को अलग करता है और मित्रता तोड़ता है।
- मंजिल या लक्ष्य तक पहुंचने से ज्यादा महत्वपूर्ण यात्रा अच्छे से करना होता है। वहीं, हजारों शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शांति लाता है।
- क्रोधित रहना कोयले को किसी दूसरे व्यक्ति पर फेंकने की इच्छा से पकड़े रहने के समान है जो सबसे पहले आपको ही जलाती है।
- ध्यान रहें कि तीन चीज़ें जो कभी छुपी नहीं रह सकती वह है – सूर्य, चंद्रमा और सत्य।