किसी ने सही कहा है कि क्रोध में आकर कभी भी कोई फैसला नहीं लेना चाहिए… क्योंकि यह क्रोध बड़ी बुरी चीज़ होती है, यह अच्छे-अच्छे लोगों का पल में नाश कर देती है। क्रोध ना सिर्फ आपको औरों से दूर करता है, बल्कि यह आपको कई रोगों का शिकार भी बना देता है।
क्रोध में ऐसी क्षमता है कि यह इंसान को बिलकुल अकेला कर सकता है व आपके खुशहाल जीवन को निराशाओं से घेर सकता है। यह बातें महज बाते नहीं है, बल्कि सबसे बडे़ हिंदू ग्रंथ में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि कोध्र व्यक्ति के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है… क्रोध विनाश का कारण बनता है।
आज वेद संसार आपको बताने जा रहा है कि क्रोध को लेकर तुलिसदास जी ने क्या कहा है…
तुलिसदास जी ने सबसे बड़े हिन्दू ग्रंथ रामचरितमानस में क्रोध को लेकर जो लिखा है, वह कुछ इस प्रकार है –
क्रुद्धः पापं न कुर्यात् कः क्रृद्धो हन्यात् गुरूनपि ।
क्रुद्धः परुषया वाचा नरः साधूनधिक्षिपेत् ॥
कः क्रुद्धः पापं न कुर्यात्, क्रृद्धः गुरून् अपि हन्यात्, क्रुद्धः नरः परुषया वाचा साधून् अधिक्षिपेत् ।
अर्थ – तुलसीदास का कहना है कि जो व्यक्ति क्रोध करता है वह पापकर्म भी अधिक करता है। और तो और पुण्य के कार्यों से भी वो कोसो दूर रहता है। क्रोध एक जहर के समान है जो आपकी बुद्धि को नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ता है और व्यक्ति अपने से बड़े एवं पूज्य जनों तक को मार डालने में नहीं हिचकिचाता है। यही नहीं, ज्यादा क्रोध करने वाला व्यक्ति अशब्दों का उपयोग अधिक करता है और साथ ही साधुजनों पर भी निराधार आक्षेप लगाता हैं।
दोस्तों, याद रखें कि अगर आपने अपने क्रोध पर काबू नहीं पाया, तो यह आपको बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। जैसा कि हमने पहले भी बताया कि क्रोध करने से आप अपने खुद के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं और कई गंभीर बीमारियों को बुलावा देते हैं जैसे कि – हाई ब्लड प्रेशर, ब्रेन हैमरेज, व अन्य मानसिक परेशानियां आदि। वहीं, क्रोध के कारण आप बुढ़े भी जल्दी होने लग जाएंगे और अपनी उम्र से ज्यादा दिखने लग जाएंगे। चेहरे पर झुर्रियां, डार्क सर्कल, सफेद बाल आदि की समस्याएं आपको परेशान करना शुरु कर सकती है।
इन सबके अलावा, क्रोध आपके जीवन को अस्त-व्यस्त करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ेगा… जिसकी वजह से आपके अपने खास रिश्तों में अन-बन या यूं कहे कि कड़वाहट आनी शुरू हो सकती है और आप इस खूबसूरत जिंदगी में बहुत कुछ खो सकते हैं।
याद रखें कि जिस प्रकार तीर से निकला हुआ बाण वापस नहीं आ सकता… ठीक उसी प्रकार गुस्से में बोला गया शब्द आप वापस नहीं ले सकते हैं… और गुस्से में कही हर एक शब्द जहर के समान होती है।
गुस्सा हर किसी को आता है, पर वह इंसान बहुत आगे निकल जाता है, जो अपने गुस्से को कंट्रोल करना जान जाता है वहीं, जो गुस्से को खुद के ऊपर हावी होने देता है उसकी जिंदगी पूरी तरह से अव्यवस्थित हो जाती है और रिश्ते भी बिगड़ने लगते हैं।