शिवरात्रि… यह एक ऐसा महत्वपूर्ण पर्व है जो देश के हर कोने-कोने में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व बहुत खास होता है, क्योंकि यह भगवान शिव एवं माता पार्वती के मिलन का महापर्व कहलाता है। इस व्रत को करके भक्त हर फल,धन, वैभव, सौभाग्य, सुख समृद्धि, आरोग्य व संतान आदि की प्राप्ति कर सकते हैं।
मान्यता यह भी है कि हमारी सृष्टि के शुरुआत में इसी दिन मध्य रात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रुप में अवतरण हुआ था। वहीं, प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रहाण्ड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त भी कर देते हैं। इसीलिए, इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि भी कहा जाता है।
दोस्तों, सच बताए तो काल के काल और देवों के देव महादेव के इस व्रत का बहुत ही खास महत्व होता है। कई जगह तो इस दिन को शिव विवाह के रूप में भी लोग मनाते हैं। वहीं, स्कंद पुराण के अनुसार- चाहे सागर सूख जाए, हिमालय टूट जाए, पर्वत विचलित हो जाएं पर सत्य यही है कि शिव-व्रत कभी निष्फल नहीं जाता है। और तो और भगवान श्री राम ने भी इस व्रत को रखा था।
इस साल यानी कि 2021 में महाशिवरात्रि का पर्व 11 मार्च को है। बता दें कि कई शुभ संयोगों से भरा है महाशिवरात्रि का पर्व। कहा तो यह भी जा रहा है कि इस दिन एक ही मकर राशि में 4 बड़े ग्रह शनि, गुरु, बुध तथा चंद्र, ध्निष्ठा नक्षत्र में होंगे तथा आंशि काल सर्प योग भी रहेगा। ध्यान रहे कि ऐसे अवसर पर जिन लोगों की भी कुंडली में कालसर्प योग है, वह इसकी शांति इस दिन अवश्य करवा सकते हैं, क्योंकि इस योग में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होगा।
महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक करना भी बहुत शुभ माना जाता है और भगवान शिव की आराधना करने से आपके सारे बुरे दोष दूर हो जाएंगे और साथ ही आपको कष्टों से भी मुक्ति मिल जाएगी।
महाशिवरात्रि 2021 का शुभ मुहूर्त –
महाशिवरात्रि तिथि – 11 मार्च, 2021 (बृहस्पतिवार)
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ – 11 मार्च, 2021 को दोपहर 2 बजकर 39 मिनट से
चतुर्दशी तिथि की समाप्ति – 12 मार्च, 2021 को दोपहर 3 बजकर 2 मिनट तक
शिवरात्रि पारण का समय – 12 मार्च, 2021 की सुबह 6 बजकर 34 मिनट से शाम 3 बजकर 2 मिनट तक
महाशिवरात्रि पूजा का क्या है महत्व –
• इस दिन आप काले तिलों सहित स्नान करें और व्रत रखें।
• रात के समय भगवान शिव की पूरे विधि विधान के साथ पूजा और व्रत करें।
• दूसरे दिन याद से मिष्ठान्नादि सहित ब्राहम्णों तथा शारीरिक रुप से अस्मर्थ लोगों को भोजन देने के बाद ही खुद भोजन करें। यह व्रत महा कल्याणकारी होता है और अश्वमेध यज्ञ तुल्य फल प्राप्त भी होता है।
• याद रहे कि इस दिन किए गए अनुष्ठानों, पूजा व व्रत का विशेष लाभ मिलता है।
• हालांकि इस दिन चंद्रमा क्षीण होगा और सृष्टि को ऊर्जा प्रदान करने में अक्षम होगा और इसलिए अलौकिक शक्तियां प्राप्त करने का आपके लिए यह बिल्कुल सही समय होगा।
महाशिवरात्रि की सही पूजा विधि –
• सबसे पहले आप सुबह जल्दी से उठ जाएं और नहा-धोकर एक वेदी पर कलश की स्थापना करें और साथ ही गौरी शंकर की मूर्ति या फिर चित्र रखें।
• अब आप कलश को जल से भरकर रोली, मौली, अक्षत, पान सुपारी ,लौंग, इलायची, चंदन, दूध, दही, घी, शहद, कमलगटटा्,धतूरा, विल्व पत्र, कनेर आदि अर्पित करें और भगवान शिव की आरती ज़रूर पढ़ें।
• हां, एक और बात का ध्यान रखें कि रात्रि जागरण में शिव की चार आरती का विधान बहुत आवश्यक माना गया है क्योंकि इस अवसर पर शिव पुराण का पाठ भी कल्याणकारी कहा जाता है।
वेद संसार यह आशा करता है कि आप महाशिवरात्रि का पर्व पूरे विधि विधान के साथ मनाएंगे और मनवांछित फल प्राप्त करेंगे।
वेद संसार की पूरी टीम की ओर से आप सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!