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वट सावित्री व्रत में क्यों होती है यमराज की पूजा?

वट सावित्री व्रत का हमारे हिन्दू धर्म में बहुत खास महत्व माना जाता है। इस खास व्रत को हर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और उनके सुखी जीवन के लिए रखती हैं। हर साल यह व्रत ज्येष्ठ अमावस्या तिथि के दिन ही रखा जाता है और इस साल यानी कि 2021 में वट सावित्री व्रत 10 जून को रखा जाएगा

वहीं, हमारी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी शुभ दिन सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस लेकर आईं थी

वट सावित्रि व्रत का शुभ मुहूर्त –

अमावस्या तिथि की शुरुआत – 9 जून, 2021 की दोपहर 1:57 बजे से
अमावस्या तिथि की समाप्ति – 10 जून की शाम 4:22 बजे होगी

वट पूर्णिमा की सही व्रत विधि … यहां जानें

सबसे पहले आप सुबह जल्दी से उठ जाएं और नहा-धो लें। अब आप स्नान के बाद व्रत करने का संकल्प ज़रूर लें। खुद का अच्छे से श्रृंगार करें। ध्यान रहे कि इस दिन पीला सिंदूर का लगाना बहुत शुभ माना जाता है।

चलिए अब जानते हैं पूजा की विधि –

बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री-सत्यवान और यमराज की मूर्ति रखें। अब आप बरगद के पेड़ में जल डालें और उसमें पुष्प, अक्षत, फूल और मिठाईयां चढ़ाएं। वृक्ष में रक्षा सूत्र बांधकर उनसे आशीर्वाद मांगें और साथ ही वृक्ष की सात बार परिक्रमा भी करें

अब आप अपने हाथ में काले चने लेकर इस व्रत की कथा अच्छे से सुनें। कथा सुनने के बाद पंडित जी को अपनी क्षमता के अनुसार दान देना ना भूलें। बता दें कि इस दान में आप वस्त्र, पैसे और चने दें सकते हैं।

अगले दिन व्रत को खोलने से पहले बरगद के वृक्ष का कोपल खाकर अपने व्रत का समापन करें

वट सावित्री व्रत का क्या है महत्व –

दरअसल, वट पूर्णिमा व्रत को सावित्री से जोड़ा गया है। वहीं, सावित्री जिनका पौराणिक कथाओं में श्रेष्ठ स्थान माना गया है… कहते हैं कि सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस मांग लाई थी। और इसलिए इस व्रत में हर सुहागिन महिलाएं सावित्री के समान अपने पति की दीर्घायु की कामना तीनों देवताओं से करती हैं, ताकि उनके पति को सुख-समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य और दीर्घायु अवश्य प्राप्त हो सके।

वट वृक्ष की पूजा क्यों होती है –

हमारे हिन्दू धर्म में वट वृक्ष को बहुत ही पूजनीय माना जाता है। शास्त्रों में तो इस बात का उल्लेख है कि बरगद के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) तीनों देवों का वास होता है और इसलिए बरगद के पेड़ की आराधना करने से हर महिला को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

तो दोस्तों, अब आप समझ गए होंगे कि यह कोई मामुली व्रत नहीं, बल्कि बहुत ही बड़ा व्रत है… यमराज भी इस व्रत के सामने हार मान जाते हैं और अपना आशीर्वाद देने से नहीं रूकते हैंपति व पत्नी के अटूट प्रेम की निशानी है यह वट सावित्री व्रत। अगर किसी कारण आपका अपने पति से नहीं पटरी खाता है, तो आप ज़रूर इस व्रत को करें क्योंकि इस व्रत को करने से आपके बीच की कड़वाहट अवश्य दूर हो जाएगी और आप साथ में एक खुशहाल जीवन व्यतित कर पाएंगे।

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