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दिवाली से एक दिन पहले क्यों मनायी जाती है ‘छोटी दिवाली’!

दिवाली से ठीक एक दिन पहले छोटी दिवाली का पर्व मनाने की परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है… पर क्या कभी आपके मन में यह सवाल नहीं आया कि यह छोटी दिवाली क्या है और इसे दिवाली के एक दिन पहले क्यों मनाया जाता है???

साल 2020 में छोटी दिवाली का त्योहार 13 नवंबर को मनाया जाएगा। इस पर्व को नरक चतुर्दशी के दिन मनायी जाती है। एक मान्यता यह भी है कि छोटी दिवाली की रात में घरों में बुजुर्ग व्यक्ति द्वारा एक दीपक जलाकर पूरे घर में घुमाया जाता है और फिर उस दीपक को घर से बाहर कहीं दूर रख दिया जाता है।

यही नहीं, इस खास दिन घरों में मृत्यु के देवता यम की पूजा का भी विधान माना जाता है।

आज वेद संसार आपको बताने जा रहा है कि बड़ी दिवाली से ठीक एक दिन पहले छोटी दिवाली क्यों मनायी जाती है, आइए जानते है कि इसके पीछे की क्या है राज़ –

छोटी दिवाली क्यों मनायी जाती है?

दरअसल, रति देव नाम का एक राजा हुआ करते थे जिन्होंने अपने जीवन में कभी कोई पाप नहीं किया था, लेकिन एक दिन उनके सामने यमदूत आ खड़े हुए। वहीं, यमदूत को अपने सामने देख राजा अचंभित से हो गए और वह बोले कि – मैंने तो कभी कोई पाप नहीं किया फिर भी क्या मुझे नरक जाना होगा?

राजा के इस सवाल का जवाब देते हुए यमदूत ने कहा कि – हे! राजन एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था, यह उसी पाप का फल है।

राजा ने अपने प्रायश्चित के लिए मांगा समय –

यमराज की बात सुनकर राजा ने प्रायश्चित करने के लिए यमदूत से पूरे एक साल का समय मांगा। वहीं, यमदूतों ने राजा को एक साल का समय दे दिया और फिर राजा ऋषियों के पास जा पहुंचे व साथ ही उन्हें सारी कहानी भी सुना डाली। अपनी इस दुविधा से मुक्ति का उपाय उन्होंने ऋषि से पूछा जिसके जवाब में ऋषि ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्राह्मणों को भोजन याद से करवाएं।

फिर क्या राजा ने ऋषि की बातों को ध्यान में रखा और ठीक वैसा ही किया और वह पाप से मुक्त हो गए। इसके पश्चात उन्हें विष्णु लोक में भी स्थान प्राप्त हुई। बस उस दिन से ही पाप और नर्क से मुक्ति हेतु कार्तिक चतुर्दशी के दिन व्रत और दीप जलाने का प्रचलन शुरु हो गया

छोटी दिवाली के दिन भगवान विष्णु के दर्शन का है महत्व –

ऐसी मान्यता है कि छोटी दिवाली के दिन सूरज उगने से पहले ही स्नान कर लेने से व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती है

यही नहीं, स्नान करने के बाद याद से भगवान विष्णु के मंदिर या फिर आप भगवान कृष्ण के मंदिर ज़रूर दर्शन करने जाए। ऐसा करने से आपके सौंदर्य में वृद्धि होगी और अकाल मृत्यु का खतरा हमेशा के लिए टल जाएगा।

बताते चलें कि हमारे शास्त्रों के अनुसार नरक चतुर्दशी कलयुग में जन्मे लोगों के लिए यह उपाय बहुत उपयोगी माना जाता है और इसलिए कलयुगी मनुष्य को इस दिन के नियमों और महत्व को ज़रूर से समझना व अपनाना भी चाहिए।

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